Budh Pradosh Vrat Katha । बुध प्रदोष व्रत कथा

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Budh Pradosh Vrat Katha

Budh Pradosh Vrat Katha । बुध प्रदोष व्रत कथा

Budh Pradosh Vrat Katha: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की सर्वमान्य पूजा करने वाले भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कष्टों से मुक्ति मिलती है।

प्रदोष व्रत पूजा की विधि

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

2.स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।

3.घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

4.संभव है तो व्रत करें।

5.भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें।

6.इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

7.भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं।

बुध प्रदोष व्रत कथा

बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक व्यक्ति का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के बाद उसकी पत्नी कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गयी। शख्स अपनी पत्नी को लेने उसके घर गया और बुधवार को ही पत्नी के साथ वापस लौटा। जिस पर उसके ससुराल वालों ने उसे रोका और कहा कि विदाई के लिए बुधवार का दिन शुभ नहीं है। लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी और अपनी पत्नी के साथ बैलगाड़ी में बैठकर चला गया।

एक नगर से बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी। पति लोटा लेकर पत्नी के लिए पानी लेने चला गया। जब वह पानी लेकर लौटा तो उसके क्रोध और आश्चर्य की सीमा न रही, क्योंकि उसकी पत्नी दूसरे आदमी का लाया हुआ पानी पीकर हंस-हंसकर बातें कर रही थी। लेकिन यह देखकर आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही कि उस आदमी का चेहरा बिल्कुल उसी आदमी से मिलता जुलता था। पत्‍नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष आपस में झगड़ने लगे। दोनो को लड़ते देख वाहा राहगीरों की भीड़ जमा हो गई और सिपाही भी आ गए। हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्‍चर्य में पड़ गए।

उन्होंने स्त्री से पूछा- उसका पति कौन है? स्त्री किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। तब पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मैंने बहुत बड़ी भूल कर दी कि मैं सास-ससुर की बात नहीं मानकर बुधवार को ही अपनी पत्‍नी को विदा करा ले आया। मैं भविष्य में ऐसी गलती कदापि नहीं करूंगा।

जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया और पति-पत्‍नी सकुशल घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्‍नी नियमपूर्वक बुध प्रदोष का व्रत रखने लगे। अत: बुध त्रयोदशी व्रत हर मनुष्य को करना चाहिए।

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